Monday, June 24, 2013

मेरा राज़



मैं संजय के साथ आज डांस क्लब में डिनर पर आई थी। स्टेज पर डांस चल रहा था। संजय और मैं रिजर्व टेबल पर बैठ गये थे। बैरा ड्रिन्क लाकर रख गया था… मैने अपने लिये गोवा का मशहूर जिंजर वाईन मंगवाया था। हम दोनों भी उस माहौल में धीरे धीरे रंगने लगे थे। थोड़ी देर में सन्जय मेरे साथ डांस फ़्लोर पर था। हल्का नशा था … डांस में मजा भी आ रहा था … मैं भी अपने डांस को सेक्सी बनाने लगी। अपनी चूंचियां उछाल उछाल कर सन्जय को रिझाने लगी। इतने में मुझे राज अकेला नाचता हुआ नजर आ गया। मैं चौंक पडी ! ये आज यहां कैसे? तुरन्त मेरे तेज दिमाग में एक प्लान उभर आया।
मैने सन्जय से कहा,"सन्जू… वो राज है, मेरे पुराने मिलने वालों में से है ! तुम रेस्ट करो ! मैं उस से मिल कर आती हूं !" संजय वैसे भी ड्रिन्क करना चाहता था। सो वह अपनी टेबल पर चला गया। मेरे दिल में राज को देखते ही हलचल मच गयी थी। मैं डांस करती हुयी राज के पास आ गयी। मुझे देखते ही वो चौंक गया,"अरे रोज़ी तुम ! कैसी हो ?"
"हाय राज ! तुम बताओ शीना की डेथ के बाद अब मिले हो !"
राज़ सकपका गया। शीना मेरी गहरी सहेली थी, उसकी सारी बातें मैं जानती थी, पर राज को ये नहीं पता था कि शीना की कोई हमराज़ भी है।
"हां ! मैं दिल्ली चला गया था, शीना का बिजनेस भी तो सम्हालना था, आज तो तुम बड़ी सेक्सी लग रही हो !"
"ऐ !! इधर से नजरें हटाओ, वर्ना मर ही जाओगे !"मैने उसे अपने स्तनों की तरफ़ इशारा किया, फिर अपनी चूंचीं उछाल दी।
"हाय ! रोज़ी ! सच में, तुम्हारी इसी अदा पर तो मरता हूं !"
मै उसकी कमर में हाथ डाल कर उससे चिपकने लगी। उसने भी मेरे उरोज अपनी छाती से भींच दिये। मुझे लगा राज दिलफ़ेंक तो है ही, जल्दी पट जायेगा !
"आऊच ! क्या करते हो, ये तो नाजुक है, जरा धीरे से !"
राज मचल उठा। उसने धीरे से मेरी चूंचियां दबा दी, हाथ मेरे चूतड़ों की तरफ़ बढ चले।
"मस्त हैं तुम्हारी चूंची तो !"
"अरे! इतनी अच्छी भाषा बोलते हो !" मैने भी उसे बढावा दिया।
"तो फिर हो जाये एक दौर !!" राज़ ने चुदाई की ओर स्पष्ट इशारा किया।
" कैसा दौर ? राज ! साफ़ कहो ना !"
"तुम और मैं ! और मस्ती का दौर !"
"चुप ! अभी सन्जू है, कल दिन को रखते है, मैं सीधे तुम्हारे घर पर ही आ जाऊंगी।" मैने उसे समय दे दिया और मैं जाने लगी। राज मुझे जाने ही नहीं दे रहा था।
जैसे तैसे मैंने उससे पीछा छुड़ाया और सन्जू की टेबल पर आ गयी।
संजय सब समझ चुका था। हमने डिनर लिया और सजय ने मुझे घर छोड़ा फिर अपने घर चला गया।
अगले दिन -
दिन के ग्यारह बज रहे थे। मैने बुर्का पहना और राज के घर चली आयी। राज मुझे देखते ही खुश हो गया।
"मैं फोन करने ही वाला था कि तुम आ गयी।"
"मेरा फोन नम्बर तुम्हरे पास है क्या"
"नहीं ! पहले तुम्हारी सहेली को करता उस से नम्बर ले लेता।" मैने चैन की सांस ली और बुर्का उतार दिया।
राज ने मुझे खींच कर अपने से चिपका लिया और मुझे चूमने लगा।
"राज पहले ड्रिंक, फिर मजे करेंगे।"
"ओके ! तुम्हारे लिये क्या बनाऊं? हार्ड या बीयर ?"
"नहीं बस तुम पियो !"
"ये हाथ के मोजे तो उतार दो !"
"नहीं !हाथ जल गया था !" उसने ड्रिंक लेनी शुरु कर दी, मैं उसके पास ही बैठ गयी। अब वो धीरे धीरे मेरे जिस्म से खेलने लगा। मुझे भी रंग चढने लगा. मैंने उसे चूमना चालू कर दिया। उसने भी जवाबी हमला बोल दिया। उसने सीधे मेरी चून्चियो को दबा डाला। मुझे एकदम से तरन्ग आ गयी। मैने अपने बोबे उसके सामने तान दिये, वो मेरे दोनो उरोज पकड़ कर दबाने लगा। मैं अपनो उरोजो को और आगे उभार कर उसके हाथों पर जोर डालने लगी। ऐसे मुझे और भी मजा आने लगा।
"दबा मेरे राज, ये ले मेरी कड़क चूंचिया, मसल दे हरामी को !"
"मेरी रोज़ी तू तो बड़ी सेक्सी बातें करती है !" उसने पूरा गिलास एक झटके में पी लिया, मैने दूसरा गिलास बना दिया।
"राज आज मेरे मन की निकाल दे, शीना को तो तूने खूब चोदा है, मुझे क्यों छोड़ दिया था रे !!"
"मेरी जान अब चुद लो, शीना के होते हुये तुझे कैसे चोद सकता था?"
मै अब खड़ी हो गयी, और अपने गोल गोल चूतड़ उसके चेहरे के सामने कर दिये।
"राज इन नरम नरम चूतड़ों को भी मसल दो ना, साले बहुत बेताब हो रहे हैं!"
राज मेरे चूतड़ देख कर उतावला हो उठा। उसने अपना गिलास एक बार में खाली कर दिया। और मेरे चूतड़ों को जोर जोर से दबाने लगा। मैने अपने चूतड़ और फ़ैला दिये और उसकी ओर निकाल दिये। मैने उसका गिलास फिर से एक बार और भर दिया। राज़ ने मेरी सफ़ेद पैन्ट नीचे उतार दी और मुझे नन्गी कर दिया। मैने शर्माने का नाटक किया,"हाय मेरे राज ! मेरी चूत दिख रही है छिपा लो इसे !!"
उसने तुरन्त उपने होन्ठ मेरी चूत से चिपका दिये। मेरे मुख से आह निकल गयी। मैने अपनी पैन्ट नीचे से पूरी उतार दी। फिर अपना टोप भी उतार दिया। अपनी चूत को मैं अब जोर लगा कर उसके होंठो से रगड़ मार रही थी। मेरे शरीर मे वासना भरती जा रही थी। मुझे मीठी मीठी सी सिरहन होने लगी थी। अब राज़ अपनी जीभ से मेरा दाना चाट रहा था, मेरी चूत फ़ड़क उठी, मैं अपनी चूत उसके मुख पर मारने लगी। फिर जोर लगा कर उसके होठों से रगड़ने लगी। अब मेरी चूत काफ़ी पानी छोड़ चुकी थी। मैने अपनी चूत दूर करके अब उससे चिपक कर बैठ गयी।
उसका लन्ड पैन्ट से बाहर निकलने को जोर मार रहा था। मैने उसकी ज़िप खोल कर उसका लन्ड बाहर निकाल लिया। बाहर आते ही जैसे उसके लन्ड ने राहत की सांस ली। फ़नफ़नाता हुआ सांप की तरह खड़ा हो गया, मैने प्यार से उसे पकड़ कर सहला दिया और उसे अपनी मुट्ठी में भर कर हौले से ऊपर नीचे करने लगी। राज़ मदहोश होता जा रहा था, मैने उसकी पैन्ट नीचे खींच कर उतार दी। ऊपर के कपड़े उसने स्वय ही उतार दिये। वो नशे में झूम रहा था, मैने उसके लन्ड दो अब खींचना और मसलना भी चालू कर दिया था। उसकी हालत बेकाबू होती जा रही थी।
"अरे मादरचोद! रन्डी… अब तो मेरा लन्ड चूत में घुसेड़ ले !"
"मेरे राजा अभी रूको तो ! तेरे लन्ड की मां तो चोदने दे !"
"हाय मेरी रानी ! तू कितना मस्त बोलती है रे! घिस दे इस हरामी को!"
मुझे लगा कि थोड़ा और घिसने से ये तो झड़ जायेगा। उसके लन्ड को झूमते देख कर मुझे भी चुदने की लगन लग गयी थी। मैने अपनी चूत का मुंह खोला और उसका कड़कता लन्ड चूत-द्वार पर रख दिया, उसे कहां चैन था, उसने तुरन्त ही नीचे से धक्का मार दिया। उसका लन्ड मेरी चूत में रास्ता बनाता हुआ गहराई में घुसता चला गया। मेरी मुख से कसकती हुयी आह निकल पड़ी।
मैने उसे सोफ़े पर ठीक से एडजस्ट किया और मै ऊपर ही उठने बैठने लगी पर राज़ ने मुझे तुरन्त हटाया और बिस्तर पर ला कर पटक दिया,"अब तेरी चूत का मैं भोसड़ा बनाता हूं ! रूक जा बहन की लौड़ी… !~"
"हाय राजा ! देख छोड़ना मत मेरी चूत को ! इसकी तो मां चोद दे यार ! "
" रोज़ी … ये ले … यस यस… क्या मस्त चूत है … आऽऽऽऽऽऽह् …"
"है न मस्त …… चिकनी और प्यारी सी… बस फ़ाड़ दे यार… दे धक्का… हाय री…"
"चुद जा …मेरी जान…… " राज़ और मैं गालियां पर गालियां मस्ती में दिये जा रहे थे…
चूत का पानी और धक्के … फ़च फ़च की आवाजें कमरे में गूंजने लगी। मेरी चूत में अब मीठा मीठा सा दर्द और तेज गुदगुदी उठने लगी। उसके धक्के अब मेरी जान निकाल रहे थे… मेरी उत्तेजना बहुत बढ चुकी थी … मेरी चूत अब पानी छोड़ने को मचल रही थी… मैने अपनी चूत को भींच लिया…… मेरी चरमसीमा आने वाली थी … मेरी चूंचियां राज बेरहमी से खींच रहा था… मसल रहा था … उसके चूतड़ तेजी से उछल रहे थे , उसका लन्ड इंजन के पिस्टन की तरह फ़काफ़क चल रहा था……
अचानक मैं छूट पड़ी…… मेरा पानी निकलने लगा।
"राजा मैं गयी … हाऽऽऽऽय्… मेरी चूत छूट गयी … मेरे बोबे छोड़ दे रे …… बस… अब बस कर …"
"कहां मेरी रानी … अभी तो चूत का भोसड़ा बना ही नहीं है…"
"छोड़ दे … हराम जादे … भोसड़ी के … तेरी मां को घोड़ा चोदे…"
"अरे … मेरी… रन्डी… छिनाल… चुद जा रे… नखरे छोड़ दे…"
उसी समय उसने मुझे जोर से जकड़ लिया… उसका लन्ड मेरी चूत मे गहराई तक गड़ गया……
"मैं गया … मेरा निकला…… माई चोदी रे… ऊऽऽऽऽऽईऽऽऽऽऽऽ…… हाय मेरी मां चुद गयी रे…… ये…ये… हाय निकल गया मेरी जान …" उसने तेजी से लन्ड चूत में से निकाल लिया। उसका वीर्य तेजी से पिचकारी के रूप में मेरे बदन पर बरसने लगा… मैने सारा वीर्य अपने बोबे और पेट पर मल लिया। उसका लन्ड पकड़ कर खींच खींच कर बाकी का वीर्य भी निकाल कर कर अपने शरीर पर मलती गयी। राज मस्ती में लन्ड उछालता रहा। नशा उस पर चढ चुका था… अब वो सुस्त पड़ने लगा……अब वो बिस्तर पर निढाल हो कर लुढक गया। नशा उस पर पूरा चढ चुका था … उसकी आंखे बन्द होने लगी थी…
मैने उसकी हालत देखी वो लगभग नींद में था … मैने तुरन्त ही बिस्तर पर से छलांग मारी और अपने पर्स को खोला… अब एक चमकता बड़ा सा खन्जर मेरे हाथों में था… दूसरे ही क्षण मेरा हाथ बिजली की तरह चला और उसका गरदन का आधा भाग कट गया… उसकी सांस की नली कट चुकी थी… उसकी फ़टी हुयी आंखे मुझे अविश्वाश से देख रही थी…
"ये मेरी शीना की हत्या का बदला है … बड़े खुश थे ना उसकी असीम दौलत पाकर…।"
और मेरे खन्जर का दूसरा वार सीधे उसके दिल पर था… उसकी आंखे फ़टी कि फ़टी रह गयी … मैं वहीं क्रूरता से मुस्कराती रही… उसकी जान जाते देख कर मुझे असीम शांति मिल रही थी … मेरे मन की आग शान्त हो चुकी थी। उसकी लाश अब मेरे सामने पड़ी थी… उसकी आंखे खुली थी… मैंने अपना खन्जर उसी के कपड़े से साफ़ किया… और उसे फिर से पर्स में रख लिया… मैंने अपने कपड़े सोफ़े पर से उठा कर पहन लिये। उसका मोबाईल भी अपने हवाले किया। अपना मेक अप ठीक किया… अपने दस्ताने उतार कर पर्स में रखे और ध्यान से कमरे का निरीक्षण किया… सन्तुष्ट हो कर मैने अपना बुर्का पहना और बाहर झांक कर देखा।
दोपहर का एक बज रहा था … मै चुप से बाहर आ गयी… मैं जल्दी से बाहर आई और पैदल ही एक तरफ़ चल दी… सड़क सूनी पड़ी थी… मै सामान खरीदने एक मोल पर आ गयी… मैने बाहर ही बुर्का उतारा और एक थैले में रख दिया… कुछ सामान खरीद कर बाहर आ गयी। सारा सामान थैली में रख कर बाहर आकर एक टूसीटर कर लिया … रास्ते में नदी के पुल पर से नदी में राज़ का मोबाईल फ़ेन्क कर रास्ते में उतर गयी। वहां से टेक्सी करके घर के पास उतर गयी… और पैदल ही घर की ओर चल दी…

WEEKEND FUN

After a hectic week in the office under his strict new boss, Selvam was looking forward to relax and enjoy the weekend at the beach. Friday evening, he managed to leave the office early and was driving his car to his favourite beach resort by 5’o clock in the evening. Bose, the owner of the resort met him at the door and allotted him, his favourite suite facing the sea. Having shed his sweaty city cloths he had a quick shower and donned his favourite Bermudas and T-shirt. Mixing a drink from the mini-bar in the room, he came out to the balcony to enjoy the sea breeze. Hailing from inland, about 500 kms away; the sea had always fascinated him. Even while young, he always loved to go to the beaches, when his parents took him out for holidays. The perpetual motion of the waves had a soothing effect on him. In fact, he had joined the present job, in this seaside city; so he can go to the beaches, whenever he wanted to.
Taking a deep breath and enjoying the salty air, he stood gazing at the sea and the waves for a long time. He was brought back from his reverie by the high-pitched voices he heard from the adjacent suite. Out of curiosity he looked in the direction and was stunned with the beauties he saw. Two lovely girls were excitedly pointing out on to the beach at something all the while exclaiming among them.
The girls were quite young. He thought they must be college students. One of them was quite fair with long black hair, and with the prettiest of faces he had seen, smooth creamy skin, a nice ass, and size 36 C tits, which he suspected had big and brown nipples. Yet, in spite of her relatively small frame, she did not look out of proportion. And the other was quite dark with lovely features, a very pretty face, short hair, and an unblemished complexion. Her bra size must have been about 34 B cup, but it's her ass and legs that did her justice. Her legs were very shapely, just about as perfect as can be. To some, her ass may be a little too big, but to most people, and Selvam, it was a sight to behold. Perfectly round, it just begged to be grabbed. Undoubtedly both had a fantastic figure with all the necessary curves in the right places.
Turning around and seeing Selvam, they waved at him. Waving back he went near and said “Hi”, introducing himself. They introduced themselves. Malliga, the Fairer one and Radar, the darker beauty, were friends, having come to visit Malliga’s aunt in the City. They were so excited by the sea and were waiting for the aunt to join them before wading in to it. Selvam, thrilled to be with such young beauties invited them to go with him to the beach.
So happily the trio left their suites for the beach. The girls, though scared initially to wade in to the sea; enjoyed it so much, and were soon playing around like small kids. He enjoyed watching the girls playing around in all their voluptuousness. They had on skimpy shorts and thin tops, which became quite transparent, when wet. He could see their ripe breasts in all their glory; under the wet top. The girls too were aware of his checking them out and liked him for it. He with his regular exercising in the gym kept his body trim and sleek. Naturally endowed with a very handsome and smiling face, most girls were attracted to him.
These two being no exception, also liked him and started to flirt with him. This harmless flirting led to their wanton under water groping of his body. Selvam in turn started feeling up the girls whenever they came near him. This continued for quite sometime resulting in all three of them getting excited. They moved further in to the sea away from the prying eyes of the neighbouring bathers. In spite of the swaying of the waves, he managed to pull the girls to him and kiss them on their faces and other parts of their bodies where possible.
The darker beauty Radha, the mischievous one, went under water and pulled his shorts down thus liberating his hard cock. Coming back up the surface she went behind him snaking her hand to his front, feeling him up and holding him. He could feel her perky breasts rubbing him up in his back and her hand slowly starting to rub his cock. She then started to slowly nip him on his shoulders with her teeth and making keening noises with her mouth behind his ears.
Not to be out-done Malliga the fairer girl, pulled his face to her and started kissing him in his mouth. He, not to be left out with this double on-slaught on him by the girls, pulled her to him and held her tightly against him feeling her large and hard breasts pushing on his chest. Malliga pulled his hands around her, offering her breasts to him. Pushing up her top, he caught hold of her breasts covered only by her bra, and started playing with them. Not content with just holding and rubbing him Radha slowly sunk below water and pulled his now fully erect member to her mouth. She tried to suck it fully in to her mouth but couldn’t do so due to the under water buoyancy.
Thus frustrated she came up and started to pull him towards the shore. He was in a deep kiss with her sister and had to breakaway, while pulling up his shorts, to be pushed towards the shore. Both of them, hot for him spared no efforts to lead him post-haste, to their suite to continue what they had started in the sea.
Entering their suite they found their aunt Jaya waiting for them. Though disappointed, that he cannot continue the fun in their suite, now that the aunt is present, he was again shocked to see such a young beauty as their aunt. He had expected their aunt to be a fussy old lady. She must have been in her late twenties. Fair and tall she was quite shapely. Clad in a sari and with her hourglass figure she was slim and built like an athlete. Her legs never seemed to end and had a fabulous figure. She had short-cropped hair, but what really took Selvam’s breath away, was her deep brown eyes, giving her a sultry look. As she was introduced to him, she could comprehend the fun the three of them must have had on the beach by their looks and body language. He was so taken up by her, that, he was literally drooling over her. She too must have liked his longing for her and his good looks. She reciprocated with body signs indicating her desire for him.
Jaya invited Selvam to join them for dinner. Which he readily agreed to! It was decided to meet at the restaurant in an hour’s time, so the girls could have enough time to dress and get ready. The setting at the restaurant couldn't have been more perfect. Candle lit tables over looking the sea, serenading band that played soft music, perfect gourmet food, accompanied by lots of beer.
Some where through the dinner Selvam felt Radha’s hand move up on his legs towards his crotch and gently start stroking his cock over his pants. Not to be out done, Malliga started leaning across and whispering some raunchy things in his ear. He put his hand between her legs and from the flushed look on her face it was pretty clear to auntie Jaya, that he was doing a good job of fingering her cunt. However he couldn’t play around with Jaya, due to her sitting before him. And she could only watch all the sexual activities going on, making her hotter.
After dinner they all walked back to their suite. It was apparent that the dinner had set the mood for a wild time. The girls didn’t want the fun to stop. They invited Selvam to their suite to watch movies with them, which he gladly accepted, anticipating other fun activities. On reaching the suite they found a message that Jaya was urgently needed by her husband, who was back home. She assured the girls, that she’ll come back soon, and to take care. The girls said that they would be with Selvam. He, though a bit upset with the untimely departure of Jaya, was happy that he had the sisters to play with. Entering the suite the girls ordered more beer and switched on the TV. After watching the dull movies the resort had to offer, the girls wanted to watch some hot stuff. Selvam had only the day before downloaded a very hot movie on to his laptop, which was in his suite. So the happy troupe paraded to his suite immediately to watch the movie.
Selvam set up the laptop to show the movie on the TV, in the suite. He joined the girls, who were eagerly sitting on the couch, waiting for the show. The movie started abruptly with the image of a girl getting eaten out by one guy while she sucked the cock of another guy. The girl was lying on a bed, flat on her back with her legs wide apart as the guy eating her pussy dove his tongue into her slit, the close up photography gave them an excellent view of the woman getting tongue fucked by this guy. A muffled moan escaped her mouth as her head was tilted sideways and filled with a rather large prick. As this went on for a few minutes, Selvam and the girls got turned on more and more.
The guys in the movie changed positions and rolled the girl onto her stomach, the girl got up on her knees in a doggy position and stuck her tight ass out to one of the guy's waiting cocks. The movie showed in vivid detail the guy slowly entering her wet cunt from behind and him starting to thrust in and out of her. The other guy moved his 9-inch cock in front of her face and she sucked it eagerly. The sight of a woman being fucked from behind and sucking another guy off at the same time excited the girls so much, they fell on Selvam with unbridled desire.
Radha leaned forward and kissed him hard on the mouth, he felt her tongue slide into his mouth and swirl around. He felt Malliga's hands roaming his back, chest and stomach, finally ending up pinching his nipples, sending hot shivers up his body. Radha's hand started at his knee and slid up to his crotch where she rubbed his hard cock through his jeans. He had one hand on Radha's back holding her tight to him and the other on Malliga's leg. "You're very nicely built. Your body is firm," Malliga purred. He withdrew his lips from Radha and pulled up Malliga for a deep kiss. "That's not all that's firm," Radha said as she undid the button of his jeans. She unzipped them and put her hand inside his underwear and freed his erect cock from its constraints.
As he continued to kiss Malliga, he felt Radha's breath on his cock followed shortly by her tongue flickering over its swollen head. Malliga looked down at her friend fondling his cock and kneeled down in front of him. Radha stopped for a moment and slid her hand up to the top of his pants, urging him to lift his back so she can strip the dammed dress. While she was struggling with his pants, he began fondling Malliga’s magnificent tits. He could feel the erect nipples through the thin material of her top. Suddenly, she grabbed the bottom of the garment, and in one fluid motion, pulled it off over the top of her head. He wasted no time removing her bra, and his earlier suspicion about her nipples being big and brown were confirmed. The sight of them pulled his mouth to them and he started sucking them like there was no tomorrow!!! Malliga started moaning and pulled his head harder on to her breasts.
Radha slid both his pants and underpants all the way down. He felt totally exposed. She started kissing the top of his cock and then licked her way down his shaft to the balls. She took one in her mouth as Malliga closed her lips over its head and started taking his shaft in her mouth. Her mouth felt better then what he'd imagined earlier in the day. Radha withdrew her mouth and Malliga took her place right away. Her technique was different, but felt every bit as good. She did not take him as deeply in her mouth, but used her hand to compensate. The pleasure felt incredible.
He pulled Radha to him and kissed her hard on the mouth. He gently reached over and put his hand on her hot, wet pussy. His thumb found her clit and a moan escaped her mouth, he slipped a finger into her hole and he felt her grip tighten on his shaft. He started to lightly rub Radha's clit while sliding a finger in and out of her beautiful tight cunt. He loved the feeling of a bald pussy under his hand and was reluctant to let go.
Malliga was now kneeling in front of him with her mouth on his 8-inch dick. Her hand slowly moved up the inside of his leg and cupped his balls lightly in her hand. She leant forward and blew softly on the tip of his cock, a shudder shot up Selvam's spine. His head tilted back as he felt his dick go deep into her warm mouth and emerge again into the cool air. He couldn't help but watch as her tongue and mouth circled and dived down onto the head of his cock as she skillfully pulled up and down on his shaft with one hand and softly stroked and fondled his balls with the other.
As she continued to delight him with her masterful mouth and tongue, he was sitting still with his eyes transfixed on her face. He was getting close to cumming, but did not want this to be over yet, so he stopped Malliga from her fantastic sucking. He stood up and pulled his cock from her mouth. He got behind Radha and slid her pants down. Her ass was incredible. He was so fixated with her fabulous ass, wondering if he gain entry to it!! She trembled when his tongue made contact with her ass cheek.
He could smell the musk of her womanhood as he got behind her. He kissed the back of each of her well-defined thighs before parting her swollen pussy lips with his fingers and invading her with his tongue. She tasted so good. His tongue flickered over her clit. His nose was buried in her ass cheeks. Her body was firm and tight. She started grinding back on his mouth a little. He felt her pussy get wet, on his upper lip. "I'm so close, Selvam... don't stop," Radha whispered. “But wait I don’t want to cum yet” she said and pulled out from his mouth.
Radha then freed him of his shirt while Malliga took off his shoes. They both shed their remaining clothing. Both of their pussies were bald and their nipples swollen with the desire they felt. Radha positioned herself over him and he watched her gorgeous ass as she took his cock in her hand and put the head right at her vaginal opening. She slowly eased him in to her pussy. She was hot and tight. Her wetness felt sooo good to him. She started building a slow, gentle rhythm as Malliga got between her legs. He felt Malliga's tongue on the base of his cock and balls as she alternated between Radha and him. It felt so good. Radha's pussy felt very smooth. He reached around and fondled her tits and rubbed his hand over her smooth belly. He felt like he was going to explode. Radha's body began to shake and he felt her pussy clamp around his cock. She was cumming. "Uhhh... Uhhh... Yeah...I am.. cu... cu.... Cuuummmming....," she moaned. Radha's rhythm slowed and she collapsed back on him. With great restraint he stopped his climax from splattering on to Radha’s pussy.
"It looks like you need some help, Selvam" Malliga said as she got off from the floor and knelt down next to him and softly wrapped her hand around his straining cock. "I really need to feel you inside me” she panted. “ I'm sure that'd be better than anything I could see on that" Radha said tiredly, looking at the porno still playing on the TV, from the floor; after having had a fantastic fuck. When her eyes returned to them, Malliga and Selvam were kissing furiously, and before long she saw his hand slip between Malliga’s legs. Malliga moaned and allowed her legs to come apart slightly, letting his fingers explore her wet cunt. She in turn was frantically pumping his cock up and down in her heated frenzy. Radha saw two of his fingers slide easily inside her friend and had the strange feeling of being immensely turned on by her best friend and him playing with each other.
She watched her friend get down on all fours in front of him and line his cock up with her pussy from behind. He was all slick from Radha's climax. Malliga was wet from her own earlier, and even more wet with the anticipation of his cock. He slowly eased his cock in to her love slick pussy, and started pumping her slowly. It felt very pleasurable to him. Malliga's rhythm began to pick up. Her pussy was getting wetter and wetter. He felt her pussy start to contract. "Ooooh... I'm cumming... yeah... oh, yeah... uuuuhhhh..." Her pussy spasmed around his cock. Suddenly, he felt his balls start to tingle in preparation for release. The tingling spread to his cock, centered on the head, to his nipples, down his legs to his toes, to his asshole, and across his shoulders and down his arms. When his entire body was engulfed in these sensations, he started shooting white-hot loads of jism into Malliga’s pussy, and collapsed on to her back. Not wanting to be missed out in this intense climax, Radha pulled out his cock from Malliga’s pussy and started licking it all over. Rolling with Malliga on to his side, Selvam watched Radha going at his cock with a happy smile.
A wave of complete ecstasy swept over all three of them and they crumpled in a heap after this great fuck session. "Can we do this again? " Selvam asked them.
"Oooh!! God yeah" Radha said and Malliga showed her agreement by leaning up and kissing him on the mouth, saying “we got the whole weekend ahead, baby”. “Yesssss” said Selvam with visions of auntie Jaya and her sexy body!

दोस्त की बीवी और बहन

एक दिन मेरे दोस्त कमल का फोन आया- यार जय, कल हम सभी लोग हरिद्वार जा रहे हैं, पापा ने कहा है कि तुमको भी हमारे साथ चलना है।

मैंने कहा- कमल मैं आप लोगों के साथ कैसे जा सकता हूँ, अचानक आप कह रहे हो, मैं आप लोगों के साथ नहीं जा सकता।

मैंने फोन रख दिया। 10-15 मिनट के बाद कमल के पापा का फोन आया- जय बेटे, तुम हमारे साथ क्यों नहीं चलना चाहते? मुझे मालूम है कि तुम हरिद्वार साल में एक दो बार जरूर जाते हो।

मैंने कहा- अंकल जाता तो हूँ पर मुझे काफी सारे काम भी तो करने हैं, मेरे तो सारे काम रुक जाएँगे अंकल।

तो अंकल कहने लगे- कोई बात नहीं, मैं कौन सा तुमको रोज-रोज कहता हूँ, तुम कल तैयार रहना ! अब मैं कुछ नहीं जानता ! और यह कहकर फोन काट दिया।

अगले दिन दोपहर को दो बजे कमल का फोन आया- जय, हम लोग रात को दस बजे निकलेंगे, तुम तैयार रहना !

मैंने कहा- ठीक है।

और मैंने भी आपनी पैकिंग शुरु कर दी और एक छोटे बैग में दो जोड़ी कपड़े रखे और एक बकाडी की बोतल रखी और फिर मैं सो गया।

रात को साढ़े नौ बजे फिर से कमल ने फोन किया- हम लोग निकल रहे हैं, तुम तैयार रहना।

मैंने उनके आने से पहले ही दो पैग बकाडी के लिये और फिर नहाने चला गया, टीशर्ट, लोअर पहना, खाना खाया और बाहर ही निकलने वाला था कि घण्टी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो कमल सामने खड़ा था। मैंने उसको अन्दर बुलाया तो कमल कहने लगा- सभी लोग आपका इन्तज़ार कर रहे हैं, जल्दी करो !

और मेरा बैग उठाया और बाहर चला गया। मैंने एक और पैग जल्दी से मारा, घर को ताला लगाया और गाड़ी के पास जाकर देखा कि कमल के परिवार के सभी लोग स्कोर्पियो गाड़ी में बैठे थे, बीच वाली सीट पर कमल के मम्मी-पापा और अगली सीट पर कमल बैठा था, पीछे वाली सीट पर उसकी बहन और पत्नी बैठी थी।

मैंने कमल के मम्मी-पापा को नमस्ते किया और कमल को पीछे वाली सीट पर बैठने को कहा। तो कमल के पापा कहने लगे- जय बेटे, तुम थके होंगे, तुम पीछे बैठ जाओ, रास्ते में साईड भी तो देखने वाला चाहिए।
मैं पिछ्ली सीट पर बैठ गया। मैंने मन ही मन सोचा कि यार जय, आज कहाँ फँस गया। मैंने अपना फोन निकाला और कानों में ईयरफ़ोन लगा कर गाने सुनने लगा। दिल्ली में तो काफी भीड़-भाड़ थी तो हम लोग एक घण्टे में गाजियाबाद पहुँचे और हम लोगों को गाजियाबाद पार करने में साढ़े ग्यारह बज गये। सब लोग सो गये, मैं भी सोने की कोशिश करने लगा तो मैंने देखा कि कोई हाथ मेरे पैर को सहला रहा है। तो मैंने ऐसे ही उसको अपने हाथ से पकड़ कर अलग कर दिया पर फिर से वो हाथ अबकी बार मेरी जांघ को सहालाने लगा तो मैंने आँखें खोलकर कर देखा तो कमल की पत्नी नीता मेरे जांघ पर हाथ फेर रही थी।

अबकी बार मैंने गुस्से से हाथ हटा दिया और सोने की कोशिश करने लगा तो देखा कि कमल की बहन अपने को सोने का बहाने बनाते हुये अपनी भाभी के कान में कुछ कह रही है।

मैंने उनकी हरकत पर कोई गौर नहीं किया क्योंकि सभी लोग तो सो चुके थे, मैं भी सोने की कोशिश करने लगा। पर थोड़ी देर के बाद नीता मेरी सीट पर आकर बैठ गई और कमल की बहन मोनी पूरी सीट पर अपने पैर फैला कर सो गई।

पहले मैं नीता और मोनी के बारे में बता दूँ- नीता की फिगर 34-29-34 और मोनी की फिगर 36-30-36, दोनों का रंग दूध की तरह साफ और लम्बाई नीता की 5 फीट 4 इंच और मोनी की 5 फीट 6 इंच और नीता की उम्र 26 साल और मोनी की 20 साल थी। दोनों ही एकदम से देखने में स्मार्ट और सुन्दर जो भी देखे बस देखता ही रह जाये।

नीता ने कुछ देर सोने का नाटक किया और फिर से मेरी जांघ पर हाथ घुमाने लगी। अबकी बार मैंने नीता का हाथ पकड़कर नीता के कान में कहा- भाभी जी, यह आप क्या कर रही हो?

नीता ने कहा- जय, कुछ तुम करो और कुछ मैं करती हूँ, सफर आराम से कट जायेगा।

मैंने कहा- नहीं भाभी जी, यह सब अच्छी बात नहीं है, अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा? हम दोनों ही बदनाम हो जायेंगे।

नीता कहाँ मानने वाली थी, नीता पर तो काम वासना का भूत सवार हो चुका था, नीता ने मेरे लोअर में हाथ डाल दिया और कहने लगी- अब की बार मुँह से कुछ मत बोलना, नहीं तो मैं बहुत कुछ बोलूँगी। बस तुम मजा लो और दो !

यह कह कर मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और बोली- जय, तुम पूरा मजा लो !

और यह कहकर मेरे लण्ड को पकड़ लिया जो कि अभी सोया हुआ था। नीता की अंगुलियाँ अपना कमाल दिखाने लगी, मेरा लण्ड भी अपने पूरे आकार में आने लगा। नीता एक हाथ से मेरे लण्ड को सहला रही थी और दूसरे हाथ से मेरी छाती सहलाने लगी।

मैं भी पूरा गरम होने लगा। नीता अपने काम में पूरी मस्त हो चुकी थी उसको किसी की कोई परवाह नहीं थी। मैंने तभी देखा कि मोनी अपने शरीर में कुछ हरकत कर रही है और हिल-डुल रही है और अपने एक हाथ को अपनी चूत पर फिरा रही है और दूसरे हाथ से अपनी छाती को मसल रही है।

तो मैंने नीता को रुकने को कहा पर नीता रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी और मेरी गाण्ड फटी जा रही थी। मैंने नीता को एक तरफ धकेल दिया और उठने के लिये हिला ही था कि इतने में ही मोनी उठ गई और मुझे धीमे से बोली- जय, आराम से बैठ जाओ, आपको कोई प्रोब्लम नहीं होगी। भाभी को खुश कर दो, सब लोगों की मैं गारंटी लेती हूँ।

मैं सोच में पड़ गया कि माजरा क्या है। गाड़ी में अन्धेरा था और सब लोग सो चुके थे। बस जब कोई गाड़ी आती तो उसकी रोशनी गाड़ी के अन्दर आती तो वो ही दिखाई देती और सब लोग आराम से सो रहे थे, मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है।

मैंने अपनी जेब से फोन निकाला और अपने दोस्त सुनील को फोन किया- सुनील यार, मुझे माफ करना, इस समय फ़ोन किया !

तो सुनील ने नीन्द में ही जवाब दिया- जय भाई, क्या बात है बताओ?

मैंने कहा- यार, हम लोग किसी जरूरी काम से हरिद्वार आ रहे हैं और मुझे एक कमरा और एक बाईक चाहिए, वो भी सवेरे बहुत ही जल्दी !

तो सुनील ने कहा- कोई बात नहीं जय ! जैसे ही ज्वालापुर पहुँचो, मुझे फोन कर देना, मैं खुद आ जाऊँगा यार ! अब मुझे सोने दो ना यार ! और फोन रख दिया।

क्योंकि मेरी तो हालत खराब हो चुकी थी, मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। अब तो मुझे समय बिताना था, मैंने मोनी से कहा- पानी है क्या ?

मोनी ने कहा- हाँ जय !

और मोनी ने मुझे पानी की बोतल और एक गिलास दिया तो मैंने मोनी को कहा- जरा मेरा बैग देना !

तो मोनी ने ने मेरा बैग उठा कर दिया और मैंने बकाडी की बोतल निकाली और ढक्कन खोलकर अपने गिलास में डाली कि शायद दोनों कुछ घबरा जायें, और पानी डालकर और एक ही बार में पूरा का पूरा गिलास खत्म कर दिया और अपना बैग वैसे ही अपनी सीट के नीचे रख दिया। पर उसका तो उलटा ही असर हुआ और दो ही मिनट के बाद मोनी ने कहा- जय, जो अभी आपने पानी पिया वो मुझे और भाभी को भी दो ना।

मैंने गुस्से में कहा- अपने पापा या भाई से माँग लो !

तो वो कहने लगी- सब लोग सो रहे हैं, आप ही तो जाग रहे हो, आप ही मुझे दे दो ना !

मैंने सोचा कि आज कहा फँस गया? और मैं तो यही सोच रहा था कि मोनी ने मेरे बैग से बकाडी की बोतल निकाल ली और नीता से बोली- भाभी, मैं अभी आपको जय वाला पानी देती हूँ !

और गिलास आधा से भी ज्यादा भर लिया। मैंने गिलास मोनी के हाथ से छीन लिया तो मोनी बोली- जय मैं सब की गारंटी ले रही हूँ तो आपको क्या कष्ट है? मै हूँ ना? घबराने की कोई जरूरत नहीं ! अब जय इस पानी में से आधा मुझे और आधा भाभी को दो ना।

अब मैं क्या करूँ क्या ना करूँ ? मैं तो फँस ही गया ? मैंने मोनी से कहा- ठीक है, आपको यही पानी पीना है ना तो मैं और गिलास निकाल लेता हूँ और सभी लोग लेते हैं।

मैंने अपने बैग से प्लास्टिक के दो गिलास निकाले और उनमें पानी और लिम्का डाल दी और मोनी और नीता दोनों को थमाने लगा। इतने में ही नीता ने पहले वाला गिलास उठा लिया। मुझे पता नहीं चला कि कब नीता ने गिलास मेरे पास से उठा लिया।

इतने में ही मोनी बोली- जय, मैं तो भाभी वाला गिलास लूँगी। तुम और भाभी अपना गिलास सम्भालो।
 
मोनी ने अपने हाथों में पकड़े दोनों गिलास एक मुझे और एक नीता को थमा दिये और नीता के हाथ से बकाडी वाला गिलास लेकर पीने लगी। उसने एक ही साँस में पीने की कोशिश की, पर वो तो नीट थी तो थोड़ी ही पी पाई।

मैंने कहा- आप यह पानी नहीं पी पाओगी।

पर मोनी कहाँ मानने वाली थी, उसने गिलास मुँह से लगाया और पीने लगी। तो मुझे भी गुस्सा आ गया, मैंने गिलास मोनी के हाथ से छीन लिया, गिलास मैंने अपने पास में रख लिया तो मोनी मुझ से बहस करने लगी। इतने में ही नीता ने हम दोनों को बातों में उलझा देखकर वो ही गिलास उठाया और एक ही बार में आधे से ज्यादा पी गई, नीता ने दुबारा में पूरा ही गिलास खत्म कर दिया और कहने लगी- जय आपकी ड्रिन्क तो बड़ी अच्छी है, पीकर मजा आ गया।

मैंने देखा कि नीता ने पूरा ही गिलास खत्म कर दिया। वह मुझसे चिपटने लगी तो अब मैंने भी अपने हथियार डाल दिये।

जैसे ही हम लोग मुजफ्फरनगर पहुँचे, मैंने ड्राइवर से कहा- गाड़ी बाई-पास से निकाल लेना !
 
ड्राइवर ने गाड़ी बाई-पास से घुमा दी और थोड़ी दूर जाने के बाद मैंने गाड़ी रोकने को कहा। ड्राइवर ने गाड़ी साईड में लगा दी, मैं गाड़ी से उतरकर पेशाब करने के लिये चला गया। जैसे ही वापस आया तो देखा- सभी लोग आराम से सो रहे हैं।

मैं भी अपनी सीट पर जाकर बैठ गया और ड्राइवर को चलने को कहा। गाड़ी मुजफ्फरनगर से जैसे ही रुड़की के लिए मुड़ी और तेजी से चलने लगी तो मुझे फिर से नीता का हाथ अपने लण्ड पर महसूस हुआ। वो बड़े ही इत्मिनान से हाथ फिरा रही थी। अबकी बार मैंने भी सोच लिया कि जो भी होगा देखा जायेगा, और मैं भी मजा लेने लगा। तो थोड़ी ही देर में नीता अपनी सीट से मेरी सीट पर आकर बैठ गई और मेरा लोवर नीचे खिसका के मेरे लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मेरा लण्ड अब तक अपने पूरे आकार में आ चुका था।

नीता ने कहा- जय, आपका हथियार तो बहुत ही शानदार है !

और मेरी गोलियाँ हाथ से सहलाने लगी। मुझे भी मजा आने लगा और मेरे मुँह से कोई आवाज ना निकले, इस बात का ध्यान रखने लगा।

नीता तो अपने काम में लगी हुई थी तो अचानक ही मुझे याद आया कि मोनी ने कहा था- भाभी को जो भी करना है करने दो, बाकी की मेरी जिम्मेदारी !

मैंने नीता की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही सहलाने लगा। नीता की चूची हाथ में आसानी से आ गई, मेरे हाथ लगने से ही वो टाईट होने लगी। मैं भी सब कुछ भूल कर नीता का होकर रह गया। नीता मेरा लण्ड चूस रही थी और मेरी गोलियों को हाथ से बराबर सहला रही थी। मुझे भी पूरा मजा आ रहा था। मैंने भी अब कमर कस ली और सोचा जो होगा देखा जायेगा और एक हाथ नीता के पेटिकोट में डाल दिया। मैंने महसूस किया कि नीता ने तो पैन्टी ही नहीं पहनी हुई है और मेरी अँगुली सीधी ही नीता की चूत में चली गई। नीता की चूत पानी छोड़ रही थी।

मुझे तो पूरा मजा आ रहा था, एक तो मैं नीता की चूत में अँगुली डाल रहा था और ऊपर से नीता मेरा लौड़ा चूस रही थी। अब मैं भी पूरा मजा लेना लगा और नीता को भी मजा देने लगा। कुछ देर में मेरे लण्ड ने अपना पूरा पानी नीता के मुँह में छोड़ दिया। नीता की चूत तो पहले से ही गीली थी, मुझे नहीं मालूम उसकी चूत ने कितनी बार पानी छोड़ा?

अचानक ही मेरा फोन बजा तो देखा कि फोन सुनील का था। वह कहने लगा- जय किस जगह पर हो?

मैंने ड्राइवर से पूछा तो उसने बताया कि हम ज्वालापुर पहुँचने वाले हैं।

मैंने सुनील को कहा- हम ज्वालापुर पहुँचने वाले हैं !

तो सुनील ने पूछा- बाईक किस जगह पर भेजूँ?

तो मैंने कहा- हर की पैड़ी पर अपने वाली साईड में पार्किंग के लिये जैसे ही मुड़ते हैं।
 
सुनील ने कहा- ठीक है !
 
सुनील की कोठी भारत माता मन्दिर के पास थी।
 
मैंने फोन में समय देखा तो उस वक्त़ सुबह के तीन बजे चुके थे।
 
मैंने नीता से कहा- अब तुम सो जाओ।
 
नीता ने कहा- ठीक है ! पर आपने बाईक क्यों मँगवाई? हमारा साथ आपको अच्छा नहीं लगा?
 
मैंने कहा- नहीं मेरी जान, मुझे बहुत अच्छा लगा आप लोगों के साथ आकर! अब थोड़ा सो लेते हैं।
 
नीता ने कहा- ठीक है।


हम लोग पौने चार बजे हरिद्वार पहुँच गये।
 
कमल के पापा ने मुझे अवाज़ लगाई- जय बेटे, अब बताओ कि पहले किस जगह पर चलें?
 
मैंने कहा- अंकल जी, पहले हर की पैड़ी पर चलते हैं। पहले नहाते हैं, फिर मनसा देवी पर चढ़ाई करेंगें।
 
उन्होंने कहा- ठीक है।
 
और हम लोग पर्किग की तरफ जैसे ही चले, तभी मैंने देखा कि सुनील सामने बाईक लेकर के खड़ा हुआ है। मैंने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा, मैं सुनील से मिलने के लिये गाड़ी से बाहर आया, सुनील ने मुझे देखते ही मुझे बाँहो में भर लिया और हम दोनों आपस में बात करने लगे। कमल मेरे पास आया और मैंने उसका सुनील से परिचय कराया।
 
सुनील ने कहा- अगर आपको कोई भी परेशानी हो तो मुझे फोन कर देना बस ! अब मैं निकलता हूँ।
 
और यह कहकर सुनील अपने किसी दोस्त की बाईक पर बैठा और चल दिया।
 
मैंने कमल से कहा- गाड़ी को पार्किंग में लगाओ, मैं आ रहा हूँ !
 
मैंने बाईक उठाई और उनसे पहले ही हर की पैड़ी पर पहुँच गया। मैंने देखा कि मोनी मेरा बैग अपने साथ लेकर आ रही है, मैं तो अपना बैग भूल ही गया था।
 
जब सब लोग हर की पैड़ी पर पहुँच गये तो मैंने कहा- अंकल जी, इस समय कम भीड़ है, हम लोग यहाँ पर नहा लेते हैं, ये नारी स्नान-गृह में नहा लेगीं।
 
तभी मोनी ने कहा- पापा, हम लोग वहाँ पर नहीं जाएँगे, वहाँ पर तो बहुत ही ज्यादा गन्दगी होती है। हम सभी आप लोगों के ही साथ ही नहाएँगे।
 
अंकल ने कहा- हाँ बेटी मोनी, तुम ठीक कह रही हो, यही ठीक है।
 
हम सब लोग नहाने लगे तो मैंने मोनी को अवाज दी तो मोनी गीले ही कपडों में ही मेरे पास आई और कहने लगी- जय नहाने भी नहीं दोगे क्या?
 
मैंने कहा- मोनी, मेरा बैग दो !
 
मोनी बोली- आप अपना समान भी नहीं उठा सकते? मेरे पास नहीं है !
 
 
और कहने लगी- अब मैं आपको कैसी लग रही हूँ?
 
मैंने कहा- मोनी, तुम ये फालतू की बात मत करो ! मैंने कुछ पूछा है?
 
तो कहने लगी- सामने बैग रखा है ना।
 
मैंने देखा कि मोनी सही कह रही है, मैंने कहा- मोनी अब जा कर नहा लो !
 
मैंने अपना बैग उठाया और तौलिया, निकर लेकर अपने कपड़े उतार कर बैग में रखे और जैसे ही नहाने के लिये छलांग लगाने वाला था कि मैंने देखा कि सब लोगे मुझे ही घूर रहे हैं।
 
तो मैंने कहा- अंकल जी, मेरे बारे में फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं, मुझे तैरना आता है।
 
यह कहकर मैंने छलांग लगा दी। मैं जैसे ही पानी से बाहर आया तो देखा कि सारे लोग मुझे ही देख रहे हैं। मैं दूसरी तरफ निकल गया और उधर से छलांग लगाई और उन लोगों के पास पहुँच गया।
 
मैंने कमल से कहा- यार, यह जंजीर पकड़ कर क्या नहाते हो? आओ मेरे साथ नहाओ ना !
 
कमल कहने लगा- नहीं पानी बहुत ही तेज हैं और मुझे डर लगता है।
और हम सब लोग हँसने लगे। मोनी कहने लगी- जय, मुझे एक बार अपने साथ उस तरफ ले जा सकते हो?
 
मैंने कहा- नहीं, मैं नहीं ले जाऊँगा।
 
मोनी ने कहा- क्यों डर गये क्या?
 
मैंने कहा- नहीं ऐसी बात नहीं !
 
तो कहने लगी- एक बार मुझे पार कराओ ! और अपने पापा से बोली- पापा, जय से कहो ना !
 
तो कमल के पापा कहने लगे- जय, एक बार इनको पार करा दो ना ! ये बहुत ही जिद्दी हैं !
 
फिर मैंने कहा- जैसे ही पानी के अन्दर जाये तो अपने हाथ और पैर पानी के हिसाब से बैलेंस के साथ चलाये, पानी बहुत ही तेज है।
 
तो मोनी कहने लगी- मैं कमल भईया की तरह से डरपोक नहीं हूँ !
 
हम सब लोग हँसने लगे और मोनी पानी में कूद गई और मैं भी मोनी के पीछे पानी में कूद गया और मैंने देखा कि मोनी तो तैरना जानती है पर कुछ डूबने का नाटक करने लगी।
 
मैं भी अब कम रहने वाला नहीं था, मैंने पानी के अन्दर जाकर मोनी को अपने ऊपर लिया और धीरे धीरे किनारे की तरफ बढ़ने लगा। मोनी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और हम दोनों किनारे पर पहुँच गये।
 
मोनी कहने लगी- जय, मजा आ गया ! एक बार और हो जाये?
मैंने मोनी को देखकर कहा- लगता है तुम सभी घर वाले ज्यादा ही रोमांटिक हो !
 
मोनी कहने लगी- अभी आपने देखा ही क्या है? आप धीरे-धीरे सब कुछ समझ जाओगे।
 
मोनी के कपड़े शरीर से चिपके हुऐ थे और बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
 
मैंने कहा- चलो बातें छोड़ो और सभी लोगों के पास चलते हैं !
 
और फिर से हम लोग पानी के अन्दर गये और पार करके बाहर आ गए।
 
नीता ने कहा- एक बार मुझे भी पार कराओ ना?
 
मैंने मोनी से कहा- मोनी, अपनी भाभी को तैरना सिखा दो !
 
तो मोनी कहने लगी- ये पेटिकोट मैं तैरेंगी?
 
और कहकर हँसने लगी तो नीता बोली- मोनी तुझे मैं छोड़ूँगी नहीं ! देख लेना !
 
और वो सभी लोग नहाने लगे।
 
मैंने अपने कपड़े बदल लिये और अपने बैग को लेकर एक तरफ जाने लगा। तभी अंकल ने आवाज लगाई- जय, बच्चों ने भी तो कपड़े बदलने हैं, यहीं पर रुको।
 
और मुझे मन मार कर वहीं पर रुकना पड़ा। जब सभी लोग नहा कर बाहर आये तो मैंने कहा- अंकल आप अपने कपड़े यहीं पर बदल लो और बाकी को उधर लेडीज वाले हॉल में भेज दो !
 
तो आन्टी कहने लगी- बेटा, वहाँ पर तो बहुत गन्दा होता है, मैं नहीं जाऊँगी। हम यहीं पर कपड़े बदल लेंगे। जय तुम कमल के साथ यह चादर पकड़ लेना !
 
और हम दोनों ने एक घेरा बना कर चादर पकड़ ली। आन्टी, नीता और मोनी ने एक एक करके अपने कपड़े बदल लिये और गीले कपड़े एक पोलिथिन में डाल लिये।
 
मैंने कहा- अंकल, अब किस जगह पर चलोगे?
 
तो अंकल ने कहा- जय, तुम ही बताओ कि पहले कहाँ चलें !
 
मैंने कहा- मनसा देवी चलते हैं !
 
तो सब लोग कहने लगे- ठीक है। मनसा देवी ही चलते हैं !
 
सब गाड़ी में बैठ गये, मैंने कहा- कमल, आप लोग चलो, मैं आपको वहीं पर मिलता हूँ।
 
तो कमल कहने लगा- तुम कैसे आओगे?
 
तो मैं कहने लगा- मेरे पास बाईक है, चलो, मैं आपको रास्ते में मिलता हूँ !
 
तो कमल कहने लगा- यह बाईक कहाँ से आ गई?
 
मैंने कहा- दोस्त की है ! चलो, मैं वहीं पर मिलता हूँ।
 
वो सभी लोग अप्पर रोड पर मनसा देवी की तरफ चल दिये। मैंने भी अपना बैग कन्धे पर रखा और उन लोगों से पहले ही मनसा देवी वाले रास्ते पर पहुँच गया। थोड़ी देर में ही सब लोग पहुँच गये तो मैंने कहा- अंकल, किस रास्ते से चलना है?
 
अंकल ने कहा- सीढ़ियों वाले रास्ते से चलते हैं !
 
मैंने कहा- ठीक है अंकल, मैं आप लोगों को ऊपर ही मिलता हूँ !
 
तो अंकल ने कहा- तुम हमारे साथ नहीं चलोगे क्या ?
 
मैंने कहा- नहीं, मैं तो बाईक से जाता हूँ ! आप मेरे साथ चलो !
 
अंकल ने कहा- नहीं जय, मुझे तो डर लगता है।
 
तभी मोनी कहने लगी- जय, मैं चलती हूँ !
 
मैंने कहा- नहीं, मैं अकेले ही ठीक हूँ !
 
तो नीता ने कहा- पापा मुझे कुछ थकावट हो रही है, क्या मैं जय के साथ चली जाऊँ?
 
अंकल ने कहा- आप लोगों की जैसे मर्जी।
 
मैंने कहा- अंकल ये साड़ी पहने हुए हैं और चढ़ाई बहुत ज्यादा है।
 
तो नीता ने कहा- मैं अपने कपड़े बदल लेती हूँ।
 
मैंने कहा- नीता जी, आप रहने दो, मैं मोनी को ले जाता हूँ, मोनी ने जीन्स पहनी हुई है।
 
तो नीता नराज होने लगी- आप मुझे क्यों नहीं ले जाना चाहते?
मैंने कहा- कोई बात नहीं ! मोनी, तुम चलो मेरे साथ !
 
तो मोनी कहने लगी- नहीं जय, भाभी दो मिनट में कपड़े बदल कर आ जाएँगी। हम अपनी भाभी की किसी भी बात को मना नहीं करते।
 
तो कमल कहने लगा- जय, मोनी ठीक कह रही है, नीता आपके साथ चली जायेगी।
 
नीता ने गाड़ी से बैग निकाला और पास के लॉज़ में चली गई और पाँच मिनट में कपड़े बदल कर आ गई और कहने लगी- जय, अपना बैग मुझे दो !
 
तो मैंने अपना बैग नीता को दिया। नीता ने बैग अपनी कमर पर लटका लिया और सब को बाय किया। हम लोग बाईक पर बैठ कर चल दिये। नीता मुझसे चिपक कर बैठ गई।
 
तभी अंकल ने कहा- जय बेटे, जरा सँभल कर जाना !
 
मैंने कहा- ठीक है !
 
और हम लोग चल दिये। थोड़ी दूर जाने के बाद मैंने नीता से कहा- नीता जी, मुझे भूख लगी है ! कुछ खा लिया जाये?
 
तो नीता ने कहा- हाँ जय, भूख तो मुझे भी लगी है, बताओ क्या खाओगे?
 
मैंने कहा- देखते हैं क्या मिलता है?
 
और मैंने एक होटल के पास बाईक खड़ी की, अन्दर गये, होटल वाले से पूछा- क्या-क्या है खाने के लिये?
 
तो उसने कहा- हमारे यहाँ सवेरे-सवेरे छोले भटूरे मिलते हैं।
 
मैंने नीता से पूछा- छोले भटूरे खाओगी क्या?
 
तो कहने लगी- आप जो भी खिला दो, मैं तो वही खा लूँगी।
 
छोले भटूरे खाकर हम दोनों चल दिये। जब तक रास्ता सीधा था तब तक तो नीता मुझसे चिपक कर बैठी रही पर जैसे ही हम दोनों चढ़ाई पर चढ़ने लगे तो नीता डरने लगी क्योंकि रास्ते में मोड़ और चढ़ाई बहुत ही ज्यादा थी। नीता कहने लगी- जय, अगर कुछ हो गया तो हम दोनों तो जान से हाथ धो बैठेंगे।
 
मैंने कहा- नीता, इसीलिये तो मैंने आपको पहले ही मना किया था ! पर आप कहाँ मानने वाली थी? चलो आप उतरो और मेरे पीछे पीछे आओ।
 
तो नीता कहने लगी- नहीं जय, मुझे डर लगता है, और थक भी बहुत गई हूँ।
 
क्योंकि रास्ते में भीड़भाड़ भी नहीं थी तो मैंने कहा- डरने की कोई बात नहीं, बस आप मेरे से चिपक कर बैठ जाओ और हिलना डुलना मत ! बात भी मत करना !
 
तो नीता कहने लगी- ठीक है !
 
नीता मेरे से चिपक कर बैठ गई पर दो-तीन मोड़ के ही बाद नीता रोने लगी- जय, मुझे बहुत ही डर लग रहा है !
 
मैंने कहा- नीता, डरने की कोई बात नहीं ! थोड़ी देर आँखें बन्द करके बैठी रहो। जल्दी ही पहुँच जायेंगे।
 
नीता आराम से बैठ गई, पर जैसे ही मोड़ आता वो चिल्लाना शुरु कर देती। तभी मुझे एक दुकान नजर आई और मैंने बाईक रोककर नीता से कहा- आप आराम से बैठो, मैं अभी आया !
 
और दुकान वाले से पूछा- पानी मिल सकता है क्या?
 
तो दुकान वाले ने कहा- हाँ !
 
और मैंने उससे एक बोतल पानी और एक गिलास प्लास्टिक का लिया।
 
मैं चल दिया तो नीता ने कहा- जय, क्या लिया है?
 
मैंने कहा- पानी है !
 
और थोड़ा उपर चढ़ने के बाद नीता फिर से डरने लगी, मैंने कहा- नीता, ठीक है, मैं बाईक साईड में लगाता हूँ।
 
मैंने बाईक साईड में लगा दी। रास्ता सुनसान था, कोई इक्का-दुक्का ही आदमी नजर आता था। मैंने अपना बैग लिया और बकाडी की बोतल निकाली तो नीता कहने लगी- जय, यह तुम क्या कर रहे हो? हम मन्दिर में जा रहे हैं, आप ये?
 
मैंने कहा- नीता, आप किसी भी जगह पर जाओ, मन्दिर जाओ या गुरुद्वारे जाओ या मस्जिद जाओ, इससे क्या फर्क़ पडता हैं श्रद्धा तो दिल से होती है !
 
मैंने एक पैग लिया और फिर से एक पैग थोड़ा हल्का बनाया, नीता को कहा- यह आप पियो !
 
तो नीता कहने लगी- नहीं जय, मैं कैसे ले सकती हूँ !
 
तो मैंने कहा- नीता, तुमने मुझे कब से परेशान कर रखा है ! यह ले लो ! डर नहीं लगेगा।
 
नीता ने अपनी नजर झुका ली, मेरे हाथ से गिलास लिया और एक ही घूंट में पूरा पी गई और कहने लगी- जय यह तो बहुत ठीक है ! रात में तो कुछ अलग ही थी !
 
मैंने नीता को नमकीन खाने को दी तो नीता ने कहा- जय, एक और गिलास दो ना !
 
तो मैंने कहा- नहीं नीता, रात में आप सो ली थी, अब काम खराब हो जायेगा !
 
तो नीता कहने लगी- ठीक है, मैं भी सब समझती हूँ !
 
मैंने एक और पैग मारा और चल दिया, नीता से कहा- मुझे पकड़ कर बैठना और हिलना डुलना मत !
 
नीता मुझसे चिपक कर बैठ गई और मैं अपने हिसाब से चलने लगा क्योंकि हम लोगों को 20-25 मिनट से ज्यादा हो गए थे, मैंने स्पीड थोड़ी तेज कर दी और जल्दी अपनी मन्जिल पर पहुँच गये।
 
नीता से मैंने कहा- बैग मुझे दे दो !
 
तो मैंने देखा कि नीता तो नशे में है !
 
नीता ने कहा- जय, हम किस जगह पर हैं?
 
मैंने कहा- हम मनसा देवी पहुँच चुके हैं।
 
तो नीता कहने लगी- जय सच में?
 
मैंने कहा- हाँ !
 
नीता ने कहा- मजा आ गया।
 
नीता कहने लगी- जय, मैं जिन्दगी में तुमको कभी नहीं छोडूँगी, मैं तुम को हद से ज्यादा पसन्द करती हूँ।
 
मैंने कहा- उतरो ! मैं बाईक पार्किग में लगा दूँ नीता जी !
 
नीता को ना चाहते हुए भी उतरना पड़ा। मैंने दुकान वाले से पूछ कर बाईक लगा दी।
 
मैंने तभी कमल को फोन किया, पूछा- किस जगह पर हो?
 
कमल ने कहा- अभी तो हम लोगों को देर लगेगी पहुँचने में ! तुम कहाँ पर हो?
 
मैंने कहा- हम तो पहुँच गये हैं।
 
ठीक है, कमल ने कहा- किस जगह मिलोगे?
 
मैंने कहा- हम लोग मेन गेट पर मिलेंगे ! थोड़ी जल्दी आना !
 
तभी नीता कहने लगी- कमल को फोन करने की क्या जरुरत थी?
 
मैंने कहा- नीता जी, सबका सोचना पड़ेगा !
 
अब मैंने सोचा कि उन लोगों के आने से पहले नीता का नशा कैसे उतारूँ?
 
तभी मुझे सामने पकोड़े वाली दुकान नजर आई। मैंने नीता से कहा- चलो पकोड़े खाते हैं !
 
और हम लोगों ने गर्मागर्म पकोड़े खाये और बातें करते रहे। उसके बाद हम दोनों दुकान से बाहर आकर मुख्य दरवाजे की तरफ चल दिए, जगह देखकर हम लोग बैठ गये और इधर उधर की बातें करने लगे।
 
मैंने अचानक ही नीता से कहा- नीता जी, आप रात को क्या कर रही थी?
तो नीता कहने लगी- वही जिसके लिये तुमको बुलाया हैं !
 
मैंने कहा- मैं समझा नहीं तुम क्या कह रही हो?
 
तो नीता कहने लगी- जो रात को मैं आपके साथ कर रही थी, उसके बारे में सब लोगों को मालूम है, इसीलिये तो मोनी ने कहा था कि सबकी जिम्मेदारी मैं लेती हूँ ! समझे मियाँ?
 
और कहकर हँसने लगी। मुझको एकदम से झटका लगा, मैं अपना सर पकड़ कर बैठ गया और नीता मेरे सर को सहलाने लगी।

तभी मैंने नीता को कहा- मेरी एक बात का जवाब दोगी?

नीता ने कहा- हाँ ! एक नहीं दस बात पूछो !

मैंने कहा- कमल को मैं भाई की तरह मानता हूँ और उसके परिवार को बहुत सालों से जानता हूँ, क्या आपस में यह सब कुछ जायज़ हैं नीता जी? आपके परिवार वाले मेरे बारे में अब तक क्या सोचते हैं? इसके बाद और क्या सोचेंगे? आप मेरी जगह हों तो आप क्या करोगी?

नीता ने कहा- कमल के मम्मी, पापा आपको कमल की तरह से ही चाहते हैं, मेरी शादी को चार साल हो चुके हैं, कमल के परिवार ने मुझे हर खुशी दी है, कभी भी मेरी किसी भी बात या काम को मना नहीं किया। और तो और कमल ने भी मुझे तन-मन-धन हर प्रकार का सुख दिया है, कमल हर तरह से एक सम्पूर्ण पुरूष हैं, मैं भी कमल को अपनी जान से बढ़कर प्यार करती हूँ। परन्तु चार महीने पहले हम लोग अपने डाक्टर के पास गये तो डाक्टर ने कमल के वीर्य में स्पर्म कम बताये तो हम लोगों की तो पैरों तले से जमीन निकल गई। सभी ने आपस में बैठ कर बात की कि अब क्या हो सकता है।

पापा कहने लगे- नीता, मेरी बेटी, हम लोगों ने तुम्हें हर तरह का प्यार दिया है और यह कहकर रोने लगे।

मैंने पापा से कहा- चलो कोई बात नहीं ! हमारी किस्मत में जो लिखा था वही होगा ना?

हम लोगों ने कमल का इलाज अच्छे से अच्छे डाक्टर से कराया, पर कोई फायदा नहीं हुआ और आख़िर में कमल ने पापा से आपके बारे में बात की तो पापा कहने लगे- जय मेरे बेटे जैसा है, हम उसको कहें? वो खुद इस काम के लिये तैयार नहीं होगा !
यह कहकर नीता मुझे बाहों में भरकर रोने लगी।

मैंने कहा- नीता जी, घबराने की कोई जरुरत नहीं ! सब कुछ ठीक हो जायेगा।
तो नीता कहने लगी- जय, कैसे ठीक हो जायेगा?

मैंने कहा- मैं हूँ ना? मैं जरूर कोई ना कोई उपाय ढूँढ लूँगा और मैं पापा और कमल से बात कर लूँगा।

तभी मैंने कमल को फोन किया- कहाँ पर हो? कमल ने कहा- बस 5 मिनट में पहुँचने वाले हैं।

मैंने नीता को कहा- अपना मुँह धो लो, मुझे रोते चेहरे अच्छे नहीं लगते।

सामने नल था और हाथ-मुँह धोकर नीता वापस आ गई, मैंने भी हाथ-मुँह धोये और इतने में ही कमल और सब लोग आ गये, कहने लगे- जय कब पहुँचे?

मैंने कहा- 40 मिनट हो गए हैं, पर आप कहाँ रह गये थे?

कमल के पापा ने कहा- हम लोग रास्ते में नाश्ता करने लगे थे, तुमने नाश्ता किया या नहीं?

मैंने कहा- हाँ अंकल हम लोग तब से दो बार नाश्ता कर चुके हैं, क्यों नीता जी।

नीता ने कहा- हाँ पापा जी ! हम लोग नाश्ता कर चुके हैं।

मैंने कहा- चलो अब दर्शन करते हैं।

हम लोगों ने प्रसाद लिया, प्रसाद चढ़ा कर वापस मन्दिर से बाहर आये तो मैंने कहा- अंकल अबकी बार इस रास्ते से चलो, यह रास्ता लम्बा तो जरुर है पर आप लोग थकोगे नहीं !

कमल कहने लगा- ठीक है !

हम लोग चलने लगे, जैसे ही हम लोग बाईक के पास पहुँचे, तो मैंने कहा- आप लोग चलो, मैं बाईक से आता हूँ !

तो अंकल कहने लगे- बेटे, नीता को भी साथ में लेते आना।

वो लोग चलने लगे तो नीता और मोनी ने आपस में कुछ बात की और कमल से बोली- भाई, मैं भी नीता भाभी और जय के साथ आती हूँ।

कमल कहने लगा- नहीं तुम हमारे साथ ही चलो।

नीता कहने लगी- कमल, मोनी हमारे साथ आ जायेगी, आप जाओ।

मैंने नीता को बीच में बैठने को कहा और मोनी पीछे बैठ गई। हम लोग धीरे-धीरे उतरने लगें तो मैंने देखा कि मोनी ने नीता का हाथ पकड़कर मेरे लण्ड पर रख दिया और अपनी भाभी को कान में कुछ कहने लगी। अब मैं कुछ ज्यादा तो कह नहीं सकता था, बाईक रोककर कहा- मोनी और नीता जी, ऐसे मजा नहीं आयेगा। यार मुँह से भी कुछ बोलो ना ! ऐसा लगे कि हम मजे कर रहे हैं, पर ध्यान रखना कि आप लोग हिलना-डुलना नहीं।

तो मोनी कहने लगी- जय, सही कह हो।

हम लोग तेज तो चल नहीं सकते थे पर कभी धीरे-धीरे तो कभी तेज !

जब हम लोग सभी लोगों के पास से निकले तो नीता और मोनी जो पहले ही शोर मचा रही थी, उनको देखकर और भी तेजी से शोर मचाया।

हम लोगों को देखकर सब लोग हँसने लगे और हम लोग उनसे आगे निकल गये। थोड़ी नीचे आने के बाद मैंने बाईक रोकी और मोनी से अपना बैग लेकर बोतल निकाल कर एक पैग मारा और जैसे ही चलने वाला था, नीता ने कहा- जय, एक मेरे लिये भी !

मैंने कहा- नहीं, अब आपको डर थोड़े ही लग रहा है। अब तो तुम्हें मजा आ रहा है।
नीता ने कहा- नहीं जय, आप मेरे बारे में सब कुछ जान चुके हो, फिर भी ऐसी बात करते हो? दो ना !

मैंने नीता की आँखों में मायूसी देखी और एक पैग बना कर दे दिया। नीता ने जल्दी से पैग खत्म किया, मैंने नीता को चूम कर कहा- दुखी होने की कोई जरूरत नहीं ! मैं हूँ ना !
नीता को बाहों में भर लिया तो इतने में मोनी कहने लगी- जय यह सब क्या चल रहा है?

अब मैं तो कुछ कह नहीं सकता था, नीता ने कहा- मोनी, कुछ नहीं।

मोनी ने कहा- भाभी, जो पानी वाला गिलास था, मुझे भी दो ना !

नीता ने कहा- मोनी, वो पानी बच्चे नहीं पीते !

तो मोनी कहने लगी- भाभी, अब मैं बच्ची नहीं हूँ ! यह देखो ! मेरा सीना तुम से बड़ा है।

और हम लोग हँसने लगे, मैंने कहा- मोनी, तुम्हें पानी चाहिए क्या?

तो वो कहने लगी- एक गिलास दो ना।

मैंने मोनी को एक हल्का पैग बना के दे दिया, मोनी ने पी लिया।

मैंने कहा- सब लोग आने वाले होंगे, जल्दी करो।

अबकी बार मोनी बीच में बैठ गई तो मैंने बाईक रोकी और मोनी को पीछे बैठने को बोला।

मोनी पीछे बैठ गई और हम मजा लेते हुए नीचे पहुँच गये और मोनी और नीता से कहा- कुछ खाना है क्या?

वो कहने लगी- हाँ !

मैंने कहा- इस वक्त सिर्फ छोले-भटूरे ही मिलेंगे।

हम लोगों ने छोले भटूरे खाये और बाहर बैठ कर आपस में गप्पे लड़ाने लगे। जब सब लोग आ गये तो मैंने कहा- अंकल, अब कहां चलना हैं।

अंकल और आन्टी ने कहा- बेटे, हम लोग तो बहुत थक गये हैं, अब हम आराम करेंगे।

मैंने कमल से पूछा- अब क्या प्रोग्राम क्या है?

तो कमल ने कहा- पापा, आप बताओ क्या करें।

मोनी कहने लगी- जय ने रात को किसी को फोन किया था कि मुझे एक कमरा और बाईक चाहिए, क्यों ना पापा हम भी जय के साथ चलें, हम लोग भी आराम कर लेंगे।
कमल ने कहा- पापा ये ही ठीक रहेगा। मैंने कहा कमल क्यों ना आप लोगों के लिये होटल में रुम मैं बुक करवा देता हूँ मैंने कहा- अंकल जी, वहाँ इतनी जगह नहीं होगी !
तो कमल कहने लगा- हम लोगों को करना ही क्या है, हम लोग तो आपके ही साथ काम चला लेंगे।

सब लोग गाड़ी में बैठ लिये और मैं बाईक पर चलने लगा तो मोनी ने कहा- जय मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूँ !

और मेरा बैग गाड़ी में रखकर मेरे पीछे बैठ गई। मैं उन लोगों के आगे-आगे चलने लगा। 10 मिनट के बाद हम लोग संगमपुरी पहुँच गये। पहुँच कर सुनील को फोन करके कहा कि हम आपकी कोठी के सामने खड़े हैं।

सुनील जल्दी से बाहर आया, कहने लगा- अन्दर नहीं आ सकता था क्या।

मैंने कहा- नहीं यार, मेरे साथ कुछ लोग और भी हैं, एक की बजाय तीन कमरे चाहिये।

सुनील कहने लगा- कोई बात नहीं ! और भी चाहियें तो बता दो वो भी हो जायेगा।
सुनील ने लड़के को आवाज लगाई- गाड़ी को अन्दर लगवा दो।

सब लोग जाकर आराम करने लगे, मैं भी सुनील से 10-15 मिनट बात करने के बाद अपने कमरे में चला गया, तौलिया लिया और बाथरूम में चला गया। फ्रेश होने के बाद नहा कर ऐसे ही नंगा कमरे में आ गया, तो मैंने देखा कि मोनी और नीता मेरे कमरे बैठी हुई हैं।

मेरी तो जान ही निकल गई और मैं उलटा ही दबे पैर बाथरूम में घुस गया, तौलिया लपेटा कस कर और दरवाजा खोल कर दोनों को बाहर जाने को कहा।

तो वो दोनों ही बोली- हम से क्या शर्म कर रहे हो? हम लोग सब कुछ देख चुके हैं जय ! 
बाहर आ जाओ, नहीं तो हम अन्दर आ जाएँगी।

मैंने गुस्से में कहा- मैं अंकल को फोन करता हूँ !

तभी दोनों बोली- पापा को क्या, किसी को भी कर लो हम नहीं जाएँगी। अब आप बाहर आ जाओ।

मैंने सोचा कि मैं किस मुसीबत में फँस गया? करूँ तो क्या करूँ?

मोनी बोली- जय, मैं बाहर जा रही हूँ, आप बाहर आ जाओ।

मोनी ने बाहर जाकर दरवाजा बन्द किया तो मेरी जान में जान आई और मैं बाहर निकला, देखा कि नीता दरवाजा अन्दर से बन्द कर रही है।

मैंने बाहर आकर निकर और एक टीशर्ट पहन ली, देखा कि नीता मुझे ही घूर रही है।
मैं आराम से बिस्तर पर बैठ गया, नीता भी मेरे पास आकर बैठ गई और दो तीन मिनट के बाद बोली- जय, तुम नाराज हो गये क्या? हमें क्या मालूम था कि आपका कमरा अन्दर से बन्द नहीं होगा और आप इस तरह से बाहर निकलोगे? मैं आपसे माफी माँगती हूँ, मुझे माफ करो दो, जय

मैं क्या कहूँ, यही कुछ सोच रहा था, तभी मैंने देखा कि नीता रो रही है।

मैंने नीता को गले लगाया और कहा- तुम अकेली होती तो कोई बात नहीं, पर मोनी तो मेरी और कमल की बहन लगती है।

नीता कहने लगी- नहीं, मैं आपसे कुछ कहना और माँगना चाहतीं हूँ !

और अपनी चुन्नी फ़ैला कर बोली- इसमें मेरे लिये कुछ डाल दो !

मैंने नीता से कहा- मैं आप सब लोगों से अपने परिवार की तरह से प्यार करता हूँ, लेकिन मुझे भी तो सोचने का मौका दो !

जय तुम मोनी से शादी कर लो, कहकर नीता मेरे पैरों में गिर गई, मैंने नीता को पकड़ कर बिस्तर पर बैठाया, गले से लगा लिया और उसकी कमर को हाथ से सहलाने लगा।

नीता ने अपने सर को मेरी छाती में छुपा लिया। दो तीन मिनट तक मैं ऐसे करता रहा और नीता रोती रही। पर मैं भी इन्सान हूँ, आखिरकार मैं भी जवाब दे गया और अपने होठों को नीता के होठों पर रख कर चूमने लगा और नीता के चूतड़ों को सहलाने लगा, नीता ने पैन्टी नहीं पहनी थी। अब मैंने नीता को बिस्तर पर लेटने को कहा, पर नीता ने मना कर दिया, कहने लगी- जय आप काफी थके हो, बस आराम से लेट जाओ।

मैं बिस्तर पर लेट गया, नीता जल्दी से अपने कपड़े उतारने लगी तो मैंने नीता से कहा- यहाँ पर यह सब ठीक नहीं है।

नीता कहने लगी- क्या ठीक है क्या गलत है इन बातों को छोड़ो।

मैंने कहा- नीता कमरे को लॉक कर दो।

तो नीता कहने लगी- कमरा मैंने पहले ही लॉक किया हुआ है।

वह मेरी निकर उतार कर मेरे लण्ड को चूसने लगी। मुझे भी मजा आने लगा, जैसे ही मेरा लण्ड तन कर पूरे आकार में आया, नीता मेरे लण्ड को अपनी चूत पर रखकर बैठने लगी। नीता को थोड़ा सा दर्द हुआ पर वो उसको सहन करते हुए ऊपर से धक्के लगाने लगी और मैं भी नीता का साथ देने लगा। मैं कभी उसकी चूचियों को दबाता तो कभी नीता के चूतड़ों पर हाथ चलाता।

नीता बहुत जल्दी झड़ गई और मेरे ऊपर लेट गई, मेरा लण्ड नीता की चूत में फँसा था और अभी भी अपने पूरे आकार में था।

मैंने नीता से कहा- सब ठीक है ना?

तो कहने लगी- हाँ, सब कुछ ठीक है !

मैंने नीता को बिस्तर पर लिटाया और अपने होंठ नीता की गीली चूत पर रख दिये और 2-3 मिनट तक अपनी जीभ नीता की चूत में चलाता रहा। जब नीता को मजा आने लगा तो मैंने नीता के पैर अपने कन्धोंम पर रखे और और अपना लण्ड धीरे-धीरे नीता की चूत में घुसाने लगा। जब मेरा लण्ड आराम से चलने लगा तो मैंने नीता से कहा- नीता जी, तैयार हो ना?

तो नीता कहने लगी- मैं अब तुम्हारी हूँ, जैसे मर्जी, वैसे करो।

मैं नीता को सटासट पेलने लगा और नीता भी मेरा पूरा साथ देने लगी। 6-7 मिनट के बाद मैंने नीता को कहा- अब तुम बिस्तर से नीचे आकर हाथ बिस्तर पर रख कर झुक जाओ।

नीता बिस्तर से नीचे उतर कर उसी पोज में हो गई और मैं पीछे से अपना लण्ड नीता की चूत पर रख कर धक्के लगाने लगा, फिर नीता के बाल पकड़ कर धक्के लगाने लगा। 

अब मैं नीता को पूरा मजा देना चाहता था और नीता भी पूरा मजा लेने लगी। मैं कभी नीता के स्तन पकड़ कर मसलता तो कभी उसके पेट को सहलाता और कभी उसके बाल पकड़ कर खीचता।

नीता के मुँह से बस यही आवाज आ रही थी- करो और करो ! आज मुझे मदहोश कर दो !
और मै तो बस नीता को पेले ही जा रहा था।

10-15 मिनट के बाद मेरा शरीर भी जवाब दे गया, मैं नीता की चूत में झड़ गया और ऐसे ही नीता को लेकर बिस्तर पर लेट गया।